आज की तारीख़ में भ्रष्टाचार का कोई स्तर नहीं है, यह हर किसी के जीवन में किसी न किसी रूप में दीमक की तरह चिपट गया है I स्वतंत्रा के पश्चात इस देश में भ्रष्टाचार को पनपाने का श्रेय दो लॉबी को जाता है – राजनैतिज्ञों और नौकरशाहों को, क्योंकि इन दोनों ही गुटों की जवाबदेही कभी भी आम जनता के प्रति नहीं रही I
यदि भूले भटके किसी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने की कोशिश भी की तो कानून के रखवाले और कानून से न्याय दिलवाने वालो ने इस आवाज़ को प्राथमिक स्तर पर ही दबा दिया I
आज भ्रष्टाचार हर एक मनुष्य में कुछ न कुछ रूप में घुस चूका है और धीरे धीरे लोग इसे जीवन का एक हिस्सा मान लेंगे परन्तु ऐसा करने से इस देश की न सिर्फ नींव हिल जाएगी बल्कि आने वाली पीढ़ी भी कमज़ोर, बुजदिल, संस्काररहित और असफल बनेगी I
देश को भ्रष्टाचार जैसे श्राप से बचाना किसी एक की नहीं प्रत्येक की जिम्मेदारी है और इसकी पहली सीढ़ी है की हम अपना और अपने बाल-बच्चो के सुन्दर-संस्कार पूर्ण चरित्र का निर्माण करे I