किसानो के लिए केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि एवं किसान विरोधी अध्यादेशों (Central Government Anti Farmer Bill) को विधेयक के रूप में सदन से पारित कराने का विरोध किया है.
राष्ट्रीय किसान मंच का मानना है कि यह अध्यादेश जल्दबाजी में जारी किया गया था,और अब भी जल्दबाजी में इस विधेयक को पारित किया जा रहा है.
राष्ट्रीय किसान मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष पं0 शेखर दीक्षित ने बताया कि राष्ट्रीय किसान मंच की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आज इस आशय का विरोध पत्र भेजा जा रहा है, और उनसे मांग की गई है कि इसे विधेयक के रूप में लाने के पहले किसान व किसान संगठनों के सुझाव भी इसमें शामिल किये जाएं.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कोरोना काल में कृषि क्षेत्र को पूरी तरह कार्पोरेट घरानों के हाथों में सौंपने के लिए बिना सदन में चर्चा किए किसान विरोधी अध्यादेशों को पारित किया और अब इसे विधेयक के रूप में पारित करने जा रही है.
केंद्र सरकार की किसान विरोधी (Central Government Anti Farmer Bill) नीतियां ही किसानों को सड़क पर उतरने के लिए मजबूर की है. किसान यदि सड़क पर उतर रहे हैं तो उसकी एकमात्र जिम्मेदार केंद्र सरकार है.
किसान केंद्र सरकार से मांग कर रहे हैं कि जब आप बिना लोकसभा में चर्चा किए तीनों अध्यादेश पारित किए हैं तो 15 सितंबर से प्रारंभ हुए, इस लोकसभा सत्र में उसे रद्द करें और इन्हें सर्वसमावेशी विधेयक का रूप दें,
इसके लिए किसान संगठनों से कोई सलाह मशविरा नहीं की गई थी, बल्कि कॉरपोरेट सेक्टर के संगठनों से इस बारे में केंद्र सरकार ने संवाद किया था.
ऐसे में किसानों के मन में कई ऐसी आशंकाएं है कि यह अध्यादेश किसानों के हितों के बजाय कारपोरेट के हितों के लिए ज्यादा है.
सरकार को चाहिए कि वह इन विधायकों को एक परामर्श दात्री समिति गठित कर सर्वप्रथम उसे भेजें।
इस समिति में किसान संगठनों कृषि विशेषज्ञों तथा सभी हितधारकों को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए।
सरकार द्वारा किसानों के इन शंकाओं का समुचित समाधान करने के पश्चात ही इसे विधेयक के रूप में सदन के पटल पर रखना उचित होगा.
वर्तमान में देश के सामने दो बड़ी समस्याएं खड़ी है. पहला, कोविड19 महामारी और दूसरी ओर सीमा पर चीन की दुर्निर्वार्य आक्रामकता.
इन दोनों समस्याओं को लेकर पूरा देश प्रधानमंत्री जी आपके साथ है.
देश की वर्तमान सर्वोच्च प्राथमिकता भी यही होनी चाहिए .
शेखर आगे कहते है कि कि इन अध्यादेशों (Central Government Anti Farmer Bill) को जल्दबाजी में विधेयक के रूप में पारित किये जाने से रोकें तथा इसे परामर्श समिति के पास भेजा जाएं. ताकि परामर्श समिति किसान संगठनों के साथ-साथ विधेयक से संबंधित सभी हितधारकों से संवाद स्थापित उनके सुझाव ले तथा शंकाओं को दूर करते हुए एक सर्व समावेशी विधेयक का प्रारूप तैयार करे.
किसानों को संदेह है कि जिस रूप में विधेयक को पास किये जाने की कवायद चल रही है, इससे कारपोरेट द्वारा किसानों के हितों का दोहन किया जाएगा.
उन्होंने मांग की है कि किसानों की शंका को दूर करने के लिए किसान संगठनों के सुझाव भी इस प्रस्तावित विधेयक में सम्मिलित की जाए.क्या सरकार की यह जिम्मेदारी नही है कि किसानो के साथ बैठक कर उक्त शंकाओ का समाधान किया जाए।